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उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह परिवार में मचे घमासान से मुलायम सिंह परिवार एवं समाज वादी पार्टी को नुक़सान हो सकता है ये तो जाहीर सी बात है परंतु भारतीय राजनीति को अन्ततः इससे फ़ायदा ही होने वाला है । हमारे देश में राजनीति मुद्दे आधारित होने के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थ पर आधारित होती है । स्वार्थ की चेन पार्टी के आला कमान से चलकर ठेठ ज़मीनी कार्यकर्ता तक पहुँचती है । इससे कौन कितना लाभ उठाता है ये अलग बात है । ख़ैर मुलायम परिवार का झगड़ा कोई नई बात नहीं है । सत्ता परिवर्तन चाहे परिवार में हो या राजनीति में उसका अंतिम परिणाम टूटन ही होता है और …….. यही टूटन एक नए दौर की शुरुवात भी होती है । आज यदि अखिलेश यादव सपा से टूटकर कोई नई पार्टी बनाते भी हैं तो वह सपा का विकल्प साबित होकर मतदाताओं में एक नई उम्मीद ही जगाएगा । अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक यंग नेता हैं उन्हें भी अपनी तरह से काम करने की पूरी आज़ादी मिलनी ही चाहिए । इधर मुलायम सिंह बढ़ती आयु को दृष्टिगत रखते हुए अपनी पार्टी में कब तक सुप्रीमेसी क़ायम रख पाएँगे?……. इस लिहाज़ से आज जो भी घमासान मची है वह कांग्रेस, भाजपा, बसपा एवं टीवी न्यूज़ चैनल्स वालों के लिए चटखारेदार हो सकती है परन्तु अखिलेश का, चाहे सपा में या नई पार्टी के साथ नए सुप्रीमों के तौर पर उभरना …… दूरगामी दृष्टि से स्वयं मुलायम सिंह के लिए व्यक्तिगत एवं परिवार के तौर पर जो कुछ कमाया है उसे सम्हालने तथा बचाये रखने के लिए फ़ायदेमंद ही साबित होगा ! ….. शायद इस बात को मुलायम भी अच्छी तरह से जानते व समझते हों !!!
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