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कैशलेस में हिसाब किताब एवं करेंसी दोनों आपस में मर्ज़ हो जाने से करेंसी का अस्तित्व उन्हीं आँकड़ों में चला जाता है जो हिसाब की बुक्स में लिखे होते हैं आप उन्हें उसके होल्डर से उसकी मर्ज़ी के विरुद्ध कैसे अलग कर सकेंगे ?

देखने वाली बात .....
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कैशलेस में पत्नियाँ पति की जेब से चुपके से रुपए कैसे निकाल पाएँगी ? क्योंकि रुपए तो आंकड़ों में बैंको में होंगे पति जब तक उन्हें मूव नहीं करेगा तब तक पत्नियाँ कुछ नहीं कर सकतीं … हा हा हा ख़ैर देखिये व्यापार के मूल में तीन बातें होती हैं वस्तु, करेंसी और हिसाब-किताब । नफा नुक़सान अलग है । तीनों का अपना अपना स्वतंत्र भौतिक अस्तित्व होता है । व्यापारी वस्तु बेचता है बदले में ग्राहक से करेंसी लेता है । ग्राहक एवं व्यापारी अपना अपना हिसाब किताब अलग लिख लेते हैं । यहाँ वस्तु एवं करेंसी दोनों की अदला-बदली या स्थानांतरण हुआ है इसमें वस्तु एवं करेंसी के भौतिक मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। एक किलो चावल एक किलो ही रहेंगे सौ रुपए का नोट सौ का ही रहेगा । जो कुछ भी घटत-बढ़त हुई है वह हिसाब किताब में लिखे आंकड़ों में हुई है। वस्तु एवं करेंसी के स्वतंत्र अस्तित्व के कारण आप जरूरत पड़ने पर उनके होल्डर्स से उन्हें जबरन छुड़ा भी सकते हैं जैसे पति द्वारा पैसे नहीं देने पर पत्नियों द्वारा चुपके से पति के पर्स में से निकाल लेना ….। कैशलेस में हिसाब किताब एवं करेंसी दोनों आपस में मर्ज़ हो जाने से करेंसी का अस्तित्व उन्हीं आँकड़ों में चला जाता है जो हिसाब की बुक्स में लिखे होते हैं । आप उन्हें उसके होल्डर से उसकी मर्ज़ी के विरुद्ध कैसे अलग कर सकेंगे ? मेरा सवाल ये है ।

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