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आयकर अधिनियम १९६१ की धारा १३ए जिसका अक्सर हवाला दिया जाता है के अनुसार- किसी भी राजनैतिक दल की आय को चार मद (heads) में मानी गयी है -१ हाऊस प्रॉपर्टी से प्राप्त आय २ अन्य सोर्सेज़ से प्राप्त आय ३ केपिटल गेन्स और ४ स्वैच्छा से दी गयी सहयोग राशि । इन चारों मदों से प्राप्त आय को उस दल की बीते बरस की कुलिया आय में नहीं शामिल किया जाएगा …..।
परंतु यह तभी सम्भव होगा जब एक राजनैतिक दल –
१ – ऐसे मदों से प्राप्त आय का हिसाब किताब आवश्यक दस्तावेज़ों एवं accounts books के जरिये इस प्रकार मैंटेन करे कि असेसिंग ऑफिसर उक्त मदों से प्राप्त आय की गणना अलग से सही सही कर सके ।
२ – बीस हज़ार से अधिक की स्वैच्छा से दी गयी प्रत्येक सहयोग राशि का देने वाले के नाम पते सहित रिकॉर्ड एवं दस्तावेज़ संधारित रखे ।
३ – राजनैतिक दल के सम्पूर्ण हिसाब किताब का आयकर अधिनियम की धारा २८८(२) के अंतर्गत अधिकृत व्यक्ति द्वारा ऑडिट किया गया हो ।
४ धारा १३ए के प्रावधानों के अंतर्गत exemption संबन्धित वित्तीय वर्ष में तभी मिलेगा जब तक कोई दल जनप्रतिनिधि अधिनियम १९५१ की धारा २९सी (३) के अंतर्गत सालाना रिपोर्ट चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत न कर दे ।
आयकर अधिनियम के उक्त प्रावधान प्रत्येक राजनैतिक दल को दो बातों की छूट देते हैं एक – चारों मदों में प्राप्त आय को बीते बरस की आय में शामिल नहीं करना, दूसरा बीस हज़ार या उससे कम की सहयोग राशि के सम्बंध में देने वाले व्यक्ति के नाम पते की जानकारी एवं आवश्यक रिकॉर्ड रखने की छूट । आज जब नोटबंदी में काले को सफ़ेद करने के चर्चे हैं क्या इन दो छूटों में काले को सफ़ेद नहीं किया जा सकता है ? सवाल भी है और शंका भी है। यह बहुत ही संक्षिप्त जानकारी है विस्तृत जानकारी पाठकों द्वारा दी जा सकती है । धन्यवाद ।
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